बगिया म आगे हे बहार, बसंती रंग झूम-झूम जाथे
पुरवइया छेड़ देहे फाग, मन के मिलौना ल बलाथे
मउहा ममहाथे अउ तीर म बलाथे
मंद सहीं नशा म मन ल मताथे
संग म सजन के सोर करवाथे….बसंती रंग….
परसा दहक गे हे नंदिया कछार
झुंझकुर ले झांकत हे मुड़ी उघार
लाली-लाली आगी कस जनाथे… बसंती रंग….
अमरइया अइसन कभू नइ सुहाय
उल्हवा पाना संग मउर ममहाय
कोइली तब मया गीत गाथे… बसंती रंग…
लाली-लाली लुगरा के छींट घलो लाल
राजा बसंत जइसे छींच दे हे गुलाल
अब तो तरी ऊपर लाले-लाल जनाथे… बसंती रंग…
सुशील भोले
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